जयगुरुदेव नाम से जुड़े प्रेमी जिनको गुरु महाराज से और उनके जाने के बाद नामदान मिला, सबको मिलकर अब मंदिर बनाने में तेजी लाने की है जरूरत* *सन्त बाबा उमाकान्त जी ने बताया रेवाड़ी हरियाणा में निर्माणाधीन बाबा जयगुरुदेव जी के मंदिर का उद्देश्य*



बावल (हरियाणा)निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, लक्ष्मी को घर में रोकने का उपाय बताने वाले, व्यापक रूप से लोगों को शारीरिक व आत्मिक दुःख तकलीफों में लाभ दिलाने का उपाय करने वाले, जो सब कुछ करने वाले हैं लेकिन अपने भक्तों को केवल निमित्त मात्र बनने पर श्रेय दिलाना चाहते हैं, गुरु की दया लेने का तरीका बताने वाले, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 6 जुलाई 2023 सायं बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि परछाई को कोई पकड़ने के लिए दौड़े तो वह पकड़ में नहीं आती लेकिन उसको पीछे छोड़ दे तो परछाई पीछे-पीछे भागती हुई चली आती है। ऐसे ही यह लक्ष्मी, रुपया पैसा इनको पकड़कर के रखते हो तो आपके काम नहीं आता। इनको खावत खर्चत मुक्ति दे, संचित नरक द्वार। खाने और खर्च करने से ही मुक्ति मोक्ष मिलता है। लेकिन मन इसमें लगा है, नहीं छोड़ रहा है। मन लगाने की जहां बात होती है। तन, मन, धन संतन को सर्वस। शरीर के लिए भी कह दिया कि सेवा करेंगे लेकिन मन इसी माया की छाया में, इसी के पसारे में लगा हुआ है। जो माया की छाया किसी की नहीं हुई, उसमें लगे हुए मन को हटाने की जरूरत होती है। पापी मन से पाप कर्म हो जाता है, उसको गुरु के नाम पर, गुरु को खुश करने मे लगाना चहिए।


*यह स्थान क्यों बनाया जा रहा है*


ये गुरु महाराज का आश्रम है। उनके नाम व काम को आगे बढ़ाने के लिए बनाया जा रहा। गुरु के नाम से लोगों को फायदा हो, गुरु की दया, उनके जाने के बाद जो अंतर से बराबर 24 घंटा हो रही है, वह लोगों को मिले, जो लोग मनुष्य शरीर से दु:ख तकलीफ झेल रहे हैं, उनके आत्मा का कष्ट भी दूर हो, आत्मा को भी शांति मिले, आत्मा को भी शरीर छोड़ने के बाद मुक्ति-मोक्ष मिले, इसलिए स्थान बनाया जा रहा है। गुरु महाराज का चिन्ह, स्थान बनाया जा रहा है। आप गुरु भक्त चाहोगे तो समय सीमा के अंदर हो पाएगा।


*ऐसे प्रयास करना है*


अपने-अपने हिसाब से कोशिश करो कि गुरु के नाम का स्थान यहां जल्दी से जल्दी बन करके तैयार हो जाए। जिससे इस स्थान पर मत्था टेकने व आने-जाने वालों को फायदा लाभ का अनुभव होने लग जाए। खराब समय से और जानमाल के नुकसान से बचने के लिए उनको रास्ता मिलने लग जाए। इसलिए सबको अपने-अपने स्तर से प्रयास करने की जरूरत है। जब कोई भी काम करना होता है, उसमें दिल-दिमाग लगाते हैं तब उसमें सफलता मिलती है। जैसे घर में मन, व्यापार में धन, लगाते हो, शरीर से मेहनत करते हो, तब आमदनी होती है, दूकान चलती है, नाम होता है, समझो तीनों की जरुरत होती है। ऐसे ही परमार्थ का जब कोई काम करना हो उसमें भी तन, मन, धन तीनों की सेवा करनी पड़ती है। धन भी परमार्थ में जब लगता है तब पूरा का पूरा लाभ मिल पाता है। आप लोग अपने-अपने स्तर से, जो कर सकते हो, करो। तन धन और मन लगाकर भी यहां काम करना पड़ेगा। आप लोग अपनी-अपनी योजना बना लो।


*कोई भी हो, गुरु की दया बिना, न दुनिया में न ऊपरी लोकों में तरक्की कर सकता है*


कुछ ऐसे हैं जो शरीर की, कुछ धन की सेवा कर देंगे और कुछ ऐसे हैं जो तन, मन, धन की सेवा कर देंगे। तरह-तरह के लोग हैं। जो जैसे हैं, उनसे उसी तरह से काम लेना है। जिनके पास जिस तरह का है, उस तरह से सेवा में लगोगे तो गुरु महाराज की दया से आपके भी कर्म कटेंगे, आपके ऊपर गुरु की दया बरसेगी क्योंकि गुरु का स्थान बहुत बड़ा स्थान होता है। अगर कोई कहे कि गुरु दया के बिना एक कदम भी दुनिया, समाज, देश में हम तरक्की कर जाएं या ऊपरी तरक्की कर लें, उपरी लोकों में जा सकें या शब्द सुरत को पकड़ करके पहुंचा दे, बगैर गुरु के दया के संभव हो ही नहीं सकता। बिन गुरु भक्ति शब्द में पचते, सो प्राणी तू मूरख जान। शब्द खुलेगा गुरु मेहर से, खींचे सुरत गुरु बलवान।। गुरु यहां के भी रक्षक, दाता हैं और वहां के भी रक्षक हैं, दाता हैं। ऐसे दाता गुरु महाराज थे। शरीर से तो चले गए लेकिन अभी भी अंतर में दया बरसा रहे हैं। दया की वर्षा लोगों को लेने की जरूरत है।


*परमार्थ किसे कहते हैं*


हर प्रान्त जिले में योजना बनाओ। योजनाबद्ध तरीके से काम होने पर ज्यादा कामयाबी मिलती है। जिम्मेदार, योग्यता के अनुसार प्रेमियों से काम ले लो। परमार्थ उसी को कहते हैं जो दूसरे से कराता है। अपने लिए तो अपने स्वार्थ में करता है। लेकिन जो दूसरों से कराता है, परमार्थी काम होता है। इसलिए योजना बना लो। गुरु महाराज की दया अंतर में मांगों कि गुरु महाराज हमारे तन से, मन से, जो आपने दे रखा है, हमको जब जरूरत पड़ती है, आप दे देते हो, आपने एक का कई गुना हमको दिया, हम क्या देने लायक हैं? हमने जो दिया, उसका कई गुना आपने दिया, आप हमारे उस धन को मंदिर में लगवा दो और यह मन जो एक तरह से पापी है, जान-अनजान में पाप कर बैठता है, और शरीर से, धन से पाप करा लेता है, इसका भी शुद्धिकरण कर दो, मन को आप परमार्थी काम में लगवा दो। दया मांगो। आज से शुरुआत सब लोग कर दो। जो भी लोग आज की तारीख से यानी 6 जुलाई 2023 से आप जो भी इस सन्देश को सुनो, आप सब लोग इस काम में लगो, जो भी गुरु भक्त आप हो, जयगुरुदेव नाम और गुरु महाराज से जुड़े हुए हो या गुरु महाराज के जाने के बाद संगत में आए हो, आपको नामदान मिला है, आप सबको मिलकर के मंदिर को अब बनाने की और बनने में तेजी लाने की अब जरूरत है।

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