जीएसटी में कटौती से हर भारतीय के लिए स्वास्थ्य बीमा को प्राथमिकता देने की जरूरत


पिछले दो सालों ने अच्छी सेहत और अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की अहमियत को पहले से कहीं ज्यादा प्रभावशाली ढंग से उभारा है। इलाज की बढ़ती कीमत ने हमारी भावनात्मक और आर्थिक सेहत पर भी प्रभाव डाला है। महामारी ने भी लोगों को स्वास्थ्य बीमा की जरूरत का अहसास कराया है। इससे इलाज के बढ़ते खर्च को कम करने में मदद मिल सकती है। मरीजों को अस्पताल में दाखिल करने में परेशानी नहीं होती। यहां तक कि स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कोविड के बाद होने वाले चिकित्‍सा खर्चों को भी कवर करता है।

हालांकि इस समय स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर 18 फीसदी की जीएसटी लगती है, जिसकी गणना व्यक्ति की उम्र और उसके द्वारा बीमित राशि का आकलन करके की जाती है। सभी भारतीयों के लिए गुणव्‍त्‍तापूर्ण स्‍वास्‍थ्‍यसेवा तक पहुंच का दायरा बढ़ाने और जीएसटी में कटौती करके स्‍वास्‍थ्‍य बीमा को अधिक किफायती बनाने की जरूरत है। 

एसबीआई जनरल इंश्योरेंस में स्वास्थ्य विभाग के वर्टिकल हेड श्री श्रीराज देशपांडे ने इस पर अपनी बात रखते हुए कहा, “हमने इन दो सालों में लोगों की ओर से कराए जाने वाले स्वास्थ्य बीमा में बढ़ोतरी देखी है। कई भारतीयों ने किसी भी समय उभरने में सक्षम स्वास्थ्य संबंधी अनिश्चितताओं से खुद के आर्थिक तौर पर सुरक्षित रखने के लिए बीमा योजना का विकल्प चुना है। हालांकि, भारत में कई और लोगों को स्वास्थ्य बीमा के कवर के तहत सुरक्षित करने का अवसर मौजूद है। हमें खासतौर पर स्वास्थ्य बीमा कराने के लिए आम लोगों, खासकर ग्रामीणों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। हम खुदरा उपभोक्ता के लिए स्वास्थ्य बीमा पर लगने वाले जीएसटी में कटौती कर इसे और किफायती बना सकते हैं।”    

व्‍यापक और पर्याप्‍त स्वास्थ्य बीमा का विकल्प चुनना काफी महत्वपूर्ण है। स्‍वास्‍थ्‍य बीमा अस्पताल में दाखिल होने से पहले और बाद के खर्चों, एंबुलेंस के किराए का भुगतान करने, गंभीर बीमारियों के इलाज से जुड़े खर्च को कवर करता है। अपनी चुनी हुई बीमा योजना के आधार पर इसके तहत कई तरह के इलाज से जुड़े खर्चों को कवर किया जा सकता है। इसके अलावा इलाज के बढ़ते खर्चों से निपटने के लिए स्वास्थ्य बीमा काफी लाभदायक है।

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