उदासीनता और लापरवाही की शिकार, हॉकी के जादूगर की प्रतिमा: अतुल मलिकराम



मेजर ध्यान चंद भारत माता के उन सपूतों में से एक हैं, जिनका नाम ही उनकी पहचान है। अब तक के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक ध्यान चंद ने अपनी हॉकी स्टिक से पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया, और तो और भारत को विश्व मानचित्र पर विशेष स्थान दिलाने में भी अटूट योगदान दिया। हॉकी के जादूगर पद्म विभूषण मेजर ध्यान चंद सदैव देश का गौरव रहे हैं और अनंतकाल तक रहेंगे। लेकिन यहाँ एक सवाल उठता है कि क्या भारत माता के इस गौरव को आगामी समय में वह तवज्जो मिल सकेगी, जिसके वे वास्तव में हकदार हैं? पीढ़ियों के आगे बढ़ने के साथ ही अब हम उनके योगदान को भूलते जा रहे हैं। कई मौकों पर ऐसा प्रतीत होता है कि देश के इस महान सपूत को असल सम्मान देने में हम कहीं पीछे छूट गए हैं। यूँ तो देश में कई शहरों के चौक-चौराहों पर ध्यान चंद की प्रतिमाएं देखने को मिल जाती हैं, लेकिन उनके रखरखाव और संरक्षण की तरफ शायद ही किसी का ध्यान जाता है। बुंदेलखंड स्थित 'हॉकी के जादूगर' की प्रतिमा की हमारे द्वारा काफी समय से लगातार उपेक्षा की जा रही है। गौर करने वाली बात यह है कि इस पर किसी का ध्यान भी नहीं है। 

मेजर ध्यान चंद के गोल करने की क्षमता कमाल की थी। उनके अद्भुत गेंद नियंत्रण को देखते हुए ही उन्हें 'हॉकी का जादूगर' कहा जाने लगा।  माना जाता है कि उनकी हॉकी स्टिक में गेंद के प्रति चुम्बकीय आकर्षण था। उनके खेलने के दौरान भारत ने हॉकी में तीन गोल्ड मैडल (1928, 1932 और 1936) ओलंपिक में जीते थे। उनकी आत्मकथा के अनुसार, उन्होंने 185 मैचों में 570 गोल किए। यदि हम इतिहास के पन्ने पलटें, तो पाएंगे कि यही वह समय था जब भारत में हॉकी की सबसे अच्छी टीम हुआ करती थी। हॉकी के जादूगर की प्रसिद्धि का बखान उनके जन्मदिन, यानि 29 अगस्त को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय खेल दिवस करता है। इस बात से हम भली-भाँति परिचित हैं कि मेजर ध्यान चंद का देश तथा हॉकी के प्रति समर्पण अविश्वसनीय है। वे वास्तव में भारत के अनमोल रत्न हैं, जो नई पीढ़ियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए एक बहुत बड़ी मिसाल हैं। 

लेकिन इसके बदले में देश उनके सम्मान के लिए क्या कर रहा है? हालात ये हैं कि उनकी प्रतिमा शहर में नगर निकाय की उदासीनता और लापरवाही का शिकार हो चुकी है। जी हाँ, उत्तर प्रदेश के झांसी में मेजर ध्यान चंद के पुराने स्मारक की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है, जो चीख-चीखकर अपनी खोई हुई पहचान वापस पाने की गुहार लगा रही है। कैसी विडंबना है कि जहाँ एक ओर उनके जन्मदिन को 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर उनकी प्रतिमा की अनदेखी कर दी जाती है। ऐसे में उनके स्मारक की दुर्दशा मन को झकझोर कर रख देती है कि महान हॉकी खिलाड़ी की इस हालत को देखकर कल के युवाओं पर क्या असर होगा। यदि हम ही भारत माता के इन सपूतों की छवि को धूमिल करने की वजह बन जाएँगे, तो आने वाली पीढ़ियों को इन देशभक्तों से कैसे रूबरू कराएँगे?? 

सत्य तो यह है कि भारत की महान विभूति मेजर ध्यान चंद को हमारे देश में वह तवज्जो मिली ही नहीं, जिसके वे वास्तव में हकदार हैं। मेजर ध्यान चंद के समर्पण को देश को नहीं भूलना चाहिए, और उतना ही सम्मान उनके स्मारक को भी दिया जाना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान की दृष्टि से उनकी ख्याति और उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए इस स्थान का सौंदर्यीकरण किया जाना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी भी हॉकी के जादू से परिचित हो सके और प्रेरित होकर स्वयं भी देश को गौरवान्वित कर सके।

Popular posts
"मैं अपने किरदार से गहराई से जुड़ा हूं क्योंकि उसी की ही तरह मैं भी कम शब्दों में बहुत कुछ कह देता हूं" ज़ी थिएटर के टेलीप्ले 'तदबीर' में वे एक पूर्व सेना अधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं
Image
मिलिए एंडटीवी के 'हप्पू की उलटन पलटन' की नई दबंग दुल्हनिया 'राजेश' उर्फ ​​गीतांजलि मिश्रा से!
Image
Corteva Agriscience® launches Novlect™ offering rice farmers weed control herbicide with added soil benefits OR Corteva Agriscience® launches Novlect™, bringing farmers a new herbicide to control weed in rice fields The new herbicide provides long-lasting weed control and protects crops throughout the growing season
Image
कमोडिटी व्यापारी से भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बने गौतम अदाणी का अविश्वसनीय सफर
Image
एण्डटीवी की नई प्रस्तुति ‘अटल‘ अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन की अनकही कहानियों का होगा विवरण्
Image