चलिए कुछ बेहतर करते हैं, चलिए इंदौरी बनते हैं: अतुल मलिकराम, को-फाउंडर, PR 24x7



सभी जानते हैं कि इंसान का शरीर प्रकृति के पांच तत्वों अर्थात भूमि, आकाश, वायु, जल और अग्नि से मिलकर बना है। इस प्रकार एक इंसान बनने के लिए इन पाँचों तत्वों का होना बेहद आवश्यक है। वहीं दूसरी ओर, देश में अपना वजूद दिखाने के लिए अन्य पंचतत्व अर्थात आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड और मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाना बेहद जरुरी है। स्वभाविक सी बात है, हर देश के नागरिक को अपने पहचान संबंधी दस्तावेज पूरे करने होते हैं और वहाँ की संस्कृति के अनुसार स्वयं को ढालना होता है। कहने का अर्थ यह है कि एक इंसान या देशवासी बनना तो बेहद आसान है, लेकिन एक शहरवासी बनना बेहद कठिन। क्या? आप सोच में पड़ गए? हाँ! मैं शहरवासी की ही बात कर रहा हूँ। इस बात पर अपने विचार व्यक्त करने से पहले, चलिए मैं आपको इंदौर की सैर करा कर लाता हूँ। 


भियाओ राम कह कर दिन की शुरुआत करने वाले मध्यप्रदेश के हमारे इंदौर की शान सबसे अलग है। इंदौर जैसा शहर और इंदौरियों जैसा दिल चिराग लेकर ढूंढने पर भी दुनिया के किसी कोने में नहीं मिलेगा। दूसरों की मदद करने की लगन हो, स्वच्छ इंदौर के प्रति अनुशासन हो, किसी जरूरतमंद के प्रति सेवाभाव हो, या समाजसेवा हो, हर एक इंदौरी सब छोड़छाड़ कर यह सब करने के लिए हर पल तत्पर रहता है। अनगिनत खूबियों से भरपूर इंदौर पूरी दुनिया में इकलौता शहर है, जहाँ के लोग सुबह छह बजे पोहे-जलेबी का नाश्ता करने के साथ ही रात के बारह बजे देख लो या दो बजे, सराफा तथा छप्पन की गलियों की रौनक में चार चाँद लगाते हुए जीवन यापन करते हैं। इस प्रकार सराफा तथा छप्पन की गलियां अरसे से इंदौर की जान है, और हमेशा रहेंगी। जोशी जी के दहीबड़े हो या चिमनबाग के कड़ी-फाफड़े, नीमा की आइसक्रीम हो या रवि और लाल बाल्टी की आलू की कचोरी, सराफा के भुट्टे का किस हो या जैन के गराडू, अन्ना भैया का पान हो या प्रशांत के पोहे, नई-नई डिशेस का स्वाद लेने का जो जस्बा और जोश इंदौरियों में देखने को मिलता है, वह दुनिया के किसी शहरवासी में नहीं मिलेगा। 


राजवाड़ा की मैं बात करू, तो यहाँ की शान ही निराली है। इंडिया वर्ल्ड कप जीत जाए, तो जश्न मनाने पूरा शहर राजवाड़ा चौक पर जमा हो जाता है, जिसे इंदौरी बेहद अनूठे नाम से सम्बोधित करते हैं। जानना चाहेंगे? इसे हम इंदौरी जमावड़ा कहते हैं। हर तीज-त्यौहार पर सभी शहरवासियों का राजवाड़ा चौक पर इकठ्ठा होना इंदौर की शान है। हम इंदौरी केवल खुशियां ही साथ मनाना नहीं जानते, बल्कि दुःख भी साथ में मनाते हैं। किसी नेता की मृत्यु हो या इंडिया के मैच हार जाने का गम, राजवाड़ा-चौक पर सारा शहर दुःख जताने साथ खड़ा रहता है। इस प्रकार इंदौरी सुख-दुःख के साथी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज्ञा का पालन करते हुए ताली-थाली बजाने के लिए भी हमारा जमावड़ा राजवाड़ा पर था। इतना ही नहीं, लॉकडाउन लगने के बाद का माहौल देखने भी हम इंदौरी राजवाड़ा चौक पर इकठ्ठा रहे। एकता की बात आती है तो हम कुछ बुरा होने की परवाह भी नहीं करते, एक बार जो ठान लिया उसे पूरा करके ही मानते हैं। यह अपनापन सिर्फ और सिर्फ हमारे इंदौर में ही देखने को मिलता है। अब आप निश्चित तौर पर समझ गए होंगे कि क्यों मैंने कहा था कि एक इंसान या एक देशवासी बनना तो बेहद आसान है, लेकिन एक शहरवासी यानि इंदौरी बनना बेहद कठिन। इंदौरी बनना बेहद मुश्किल काम है, लेकिन नामुमकिन नहीं। तो चलिए, कुछ अच्छा करते हैं, चलिए इंदौरी बनते हैं।

Popular posts
मिलिए एंडटीवी के 'हप्पू की उलटन पलटन' की नई दबंग दुल्हनिया 'राजेश' उर्फ ​​गीतांजलि मिश्रा से!
Image
एण्डटीवी की नई प्रस्तुति ‘अटल‘ अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन की अनकही कहानियों का होगा विवरण्
Image
"मैं अपने किरदार से गहराई से जुड़ा हूं क्योंकि उसी की ही तरह मैं भी कम शब्दों में बहुत कुछ कह देता हूं" ज़ी थिएटर के टेलीप्ले 'तदबीर' में वे एक पूर्व सेना अधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं
Image
येशु एक अनकही और अनसुनी कहानी है, जिसे पहली बार हिंदी के सामान्य मनोरंजन चैनल पर दिखाया जा रहा है‘‘- विवान शाह
Image
Cadbury Dairy Milk Fans create over 1 million versions of their Favourite Chocolate through Madbury 2020
Image